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सरकार का बड़ा निर्णय: ग्रामीण क्षेत्रों में 300% तक बढ़ीं गाइडलाइन दरें

छत्तीसगढ़ में भूमि मूल्य एवं मुआवज़ा प्रणाली में एक ऐतिहासिक बदलाव किया गया है। राज्य सरकार ने शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों की गाइडलाइन दरों  का व्यापक, वैज्ञानिक और तर्कसंगत पुनरीक्षण किया है, जिसका सीधा लाभ किसान, भूमिस्वामी और आम नागरिक उठाने वाले हैं।


पिछली स्थिति
गाइडलाइन दरों को नियम के अनुसार प्रति वर्ष संशोधित किया जाना था, लेकिन वर्ष 2017-18 के बाद दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ था।

परिणामस्वरूप, वास्तविक बाजार मूल्य और गाइडलाइन दरों के बीच व्यापक अंतर उत्पन्न हो गया था, विशेषकर किसानों, भूमिस्वामियों और संपत्ति धारकों के लिए यह परेशानी का कारण बन गया था।

नगरीय क्षेत्रों में एक ही सड़क या कॉलोनी में भी दरों में भारी भिन्नता थी और ग्रामीण क्षेत्रों में समान मार्ग के गाँवों की दरें काफी असंगत थीं।

नया बदलाव क्या है?
नगर क्षेत्रों में गाइडलाइन दरें लगभग 20 % तक बढ़ाई गयी हैं।  ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए 50 % से 300 % तक की वृद्धि की गयी है, जिससे भूमि अधिग्रहण आदि में किसानों को 3 गुना तक अधिक मुआवज़ा मिल सकेगा।

इस पुनरीक्षण के लिए “रोड-वाइज” योजना अपनाई गयी है। अर्थात् नगरीय क्षेत्रों में एक ही सड़क और समान परिस्थितियों वाले क्षेत्रों की दरें समान बनाई गयी हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में पूरे गाँवों को मैप में शामिल कर समान मार्ग व समान परिस्थितियों वाले गाँवों की दरें यथासंभव समान और तर्कसंगत बनाई गयी हैं।


लाभार्थी कौन होंगे?
किसान और भूमिस्वामी: जिनकी भूमि अधिग्रहित होती है या जिनका बैंक लोन इसी दर से तय होता है, उन्हें अब अधिक न्यायसंगत मुआवज़ा मिलेगा।

आम नागरिक: अपनी संपत्ति के लिए गाइडलाइन दरों को समझने में सुविधा होगी; बैंक द्वारा ऋण देने या पंजीकरण आदि के समय पारदर्शिता बढ़ेगी।

राज्य सरकार: एक ऐसे तंत्र की स्थापना की गयी है जिसमें दर-समायोजन नियमित रूप से किया जाएगा ताकि भविष्य में ऐसे अंतर न बने।

सरकार की टिप्पणी
विष्णुदेव साय, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ ने कहा कि यह कदम “राज्य के किसानों, भूमिस्वामियों और आम नागरिकों के हित में उठाया गया अत्यन्त महत्वपूर्ण कदम” है। उन्होंने यह भी कहा कि अब तक दरों में सुधार नहीं होने से राज्य की संपत्ति एवं मूल्यांकन प्रणाली में गंभीर असंतुलन आया था।
अपनी ओर से ओपी चौधरी (वाणिज्यिक कर व पंजीयन मंत्री) ने कहा कि यह प्रक्रिया पूर्णतः वैज्ञानिक, पारदर्शी व जनसुलभ तरीके से पूरी की गयी है।

यह सुनिश्चित किया गया है कि ऐसे किसी क्षेत्र में जो नया हाईवे, औद्योगिक क्षेत्र, कॉलोनी बना है, उसकी दरें जल्द अपडेट हों। आगे भी सरकार द्वारा जिलास्तर पर विकास, नए निर्माण, बसाहटों व बाजार प्रवृत्तियों के आधार पर समीक्षा जारी रखी जाएगी।

किसानों व भूमिस्वामियों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी भूमि का मूल्यांकन नए आधार दरों के अनुरूप कर लें, ताकि बैंक लोन या अधिग्रहण के समय उन्हें उचित लाभ मिल सके।

यह पुनरीक्षण छत्तीसगढ़ के भू-संपत्ति मूल्यांकन प्रणाली में एक मील का पत्थर है। इससे राज्य में भूमि संबंधी मामलों में पारदर्शिता, न्यायसंगत मुआवज़ा तथा नागरिकों के संपत्ति अधिकारों की सुरक्षा को मजबूत किया गया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि नई दरें कितनी तेजी से लागू होती हैं और जमीन पर किसानों व नागरिकों को अपेक्षित लाभ मिल पाता है या नहीं।

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