छत्तीसगढ़ में राजस्व निरीक्षक (RI) प्रमोशन परीक्षा में हुए भारी अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद आज एसीबी ने तड़के राज्यभर में बड़ी कार्रवाई की। एसीबी ने बस्तर से लेकर सरगुजा तक फैले दर्ज़न भर से अधिक ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की, जिसमें राजस्व विभाग के कई अधिकारियों, कर्मचारियों और संबंधित प्रिंटिंग स्थलों पर रेड की गई।
राज्य में लंबे समय से यह आरोप उठ रहे थे कि पटवारियों को राजस्व निरीक्षक पद पर प्रमोशन दिलाने के लिए बड़े पैमाने पर रिश्वत वसूली चल रही थी। कई पटवारियों से 10-10 लाख रुपये तक लिए जाने का आरोप सामने आया था। सबसे गंभीर मामला प्रमोशन परीक्षा की गोपनीयता से जुड़ा था — कहा जा रहा था कि परीक्षा का प्रश्नपत्र पहले ही लीक हो चुका था और कुछ चुनिंदा पटवारियों को एक विशेष स्थान पर बैठाकर वही प्रश्नपत्र हल कराया गया था। परीक्षा को इस तरह डिजाइन किया गया कि अन्य उम्मीदवार प्रश्नों को सामान्य रूप से हल न कर सकें, जिससे चयनित उम्मीदवारों का रास्ता आसान हो जाए।
जांच में यह भी सामने आया कि एक ही रोल नंबर को दो या तीन उम्मीदवारों को आवंटित किया गया था, जो परीक्षा प्रक्रिया में गंभीर छेड़छाड़ को दर्शाता है। आगे की पड़ताल में लगभग 22 नाते-रिश्तेदारों — जैसे पति-पत्नी, भाई-भाई, साली-बहनोई आदि — के रोल नंबरों को क्रमबद्ध तरीके से पास-पास दिया गया था। इससे यह स्पष्ट होता है कि रोल नंबर आवंटन की प्रक्रिया “यादृच्छिक” नहीं थी, बल्कि उसे व्यवस्थित रूप से प्रभावित किया गया था।
मामले के बढ़ने पर सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए विस्तृत जांच कराई, जिसमें परीक्षा प्रक्रिया से जुड़े कई बड़े सवाल उठाए गए — प्रश्नपत्र किसने तैयार किया, उसकी गोपनीयता कैसे भंग हुई, रिश्तेदारों को पास-पास रोल नंबर क्यों दिए गए, कुछ उम्मीदवार परीक्षा से पहले एक ही होटल में क्यों ठहरे हुए थे, और कैसे एक ही पहचान नंबर कई उम्मीदवारों को जारी कर दिया गया। जब प्रारंभिक जांच में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों की पुष्टि हुई, तब जाकर एसीबी ने मामले में देर रात एफआईआर दर्ज की।
एफआईआर दर्ज होते ही एसीबी की टीमों ने सुबह-सुबह समन्वित तरीके से छापेमारी शुरू की। रेड के दौरान कई दस्तावेज, डिजिटल रिकॉर्ड, हार्ड डिस्क, परीक्षा से जुड़े कागज़ात, संभावित लेन-देन के सबूत और अन्य महत्वपूर्ण सामग्री जब्त की गई है। छापे उन प्रिंटिंग प्रेसों पर भी पड़े हैं जिन पर परीक्षा प्रश्नपत्र छापे जाने और लीक होने का संदेह है।
पूरा मामला अब छत्तीसगढ़ की परीक्षा प्रणाली, प्रमोशन व्यवस्था और प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है। यदि जांच में आरोप साबित होते हैं तो यह एक संगठित और गहरे स्तर पर फैले भ्रष्टाचार के नेटवर्क का पर्दाफाश होगा, जिसमें विभागीय स्तर पर कई अधिकारियों की मिलीभगत शामिल हो सकती है। आने वाले दिनों में इस मामले में और भी बड़े खुलासों और संभावित गिरफ्तारियों की आशंका जताई जा रही है।
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