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कमिश्नर ने किया निरीक्षण, व्यवस्थाएँ सही बताई गईं..पर क्या ज़मीनी हालात भी ऐसे ही हैं?

जगदलपुर। कमिश्नर बस्तर डोमन सिंह ने मंगलवार को जगदलपुर और तोकापाल विकासखंड के पल्ली व करंजी धान खरीदी केन्द्रों का आकस्मिक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने टोकन प्रदाय, तौल व्यवस्था, बारदाना उपलब्धता, पेयजल और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं का जायजा लिया और किसानों को सभी आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। निरीक्षण के दौरान वे किसानों से सीधे रूबरू भी हुए और खरीदी केंद्रों की व्यवस्थाओं पर उनकी राय जानी।

पल्ली केन्द्र में अब तक 39 किसानों द्वारा 496 क्विंटल धान विक्रय

अधिकारियों ने अवगत कराया कि पल्ली केन्द्र में अब तक 39 किसानों द्वारा 496 क्विंटल धान विक्रय के लिए टोकन कटवाया गया है। मंगलवार को तीन किसानों ने टोकन कटवाया, जिसमें से एक किसान ने 54 क्विंटल 40 किलो धान बेचा। यहाँ इलेक्ट्रॉनिक तौल, पेयजल, डनेज और पर्याप्त बारदाना की व्यवस्था बताई गई।

करंजी केन्द्र में भी लिया जायजा

कमिश्नर ने करंजी केन्द्र का भी निरीक्षण कर व्यवस्थाओं की समीक्षा की और किसानों को सभी सुविधाएँ उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। दोनों केन्द्रों पर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक द्वारा नवीन कैडर कर्मचारियों को जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही खरीदी की नियमित मॉनिटरिंग के लिए राजस्व और कृषि विभाग के अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाया गया है।

लेकिन निरीक्षण के बीच ये सवाल भी उठे

1. क्या टोकन मिलने में देरी की समस्या अब भी खत्म नहीं हुई है?

कई किसानों ने पिछली बार टोकन समय पर न मिल पाने की शिकायत की थी। क्या इस बार व्यवस्था पूरी तरह पारदर्शी है?

2. क्या इलेक्ट्रॉनिक तौल मशीनें हर केन्द्र में पूरी तरह ठीक हैं?

पिछले सीज़न में कई जगह तौल मशीनों में “कम वज़न दिखाने” की शिकायतें आई थीं। क्या इस बार तौल पूरी तरह निष्पक्ष है?

3. बारदाना उपलब्धता का दावा—क्या जमीन पर किसान भी यही अनुभव कर रहे हैं?

वन, मैदानी और दूरस्थ इलाकों में बारदाना कमी की शिकायत साल-दर-साल आती रही है। क्या इस बार वास्तविक स्थिति अलग है?

4. क्या केन्द्रों में शौचालय और पेयजल सिर्फ निरीक्षण के समय ही ठीक पाए गए?

कई बार अधिकारी जाते ही व्यवस्थाएँ ढीली पड़ जाती हैं। क्या इस बार स्थायी सुधार किए गए हैं?

5. क्या नवीन कैडर कर्मचारी धान खरीदी के अनुभव और प्रशिक्षण के अनुसार सक्षम हैं?

नई कैडर पोस्टिंग के कारण कई जगह तकनीकी व अनुभवगत दिक्कतें सामने आई थीं। क्या इस बार किसानों को परेशानी नहीं होगी?

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