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छत्तीसगढ़ में फिर सस्ता होगा बिजली का बिल – जनता को राहत, सरकार पर बढ़ेगा भार

रायपुर। छत्तीसगढ़ की विधानसभा के विशेष सत्र के समापन के दिन मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राज्य की जनता के लिए एक बड़ी घोषणा की….हाफ बिजली बिल योजना फिर से 200 यूनिट तक लागू। यह फैसला न सिर्फ घरेलू उपभोक्ताओं के लिए राहत की सांस है, बल्कि सरकार की सामाजिक प्रतिबद्धता और ऊर्जा-नीति के संतुलन का भी संकेत है।

जनता को सीधी राहत  – 200 यूनिट तक आधा बिल

मुख्यमंत्री के अनुसार, 1 दिसंबर 2025 से राज्य में नई व्यवस्था लागू होगी, जिसके तहत 400 यूनिट प्रतिमाह तक बिजली खपत करने वाला कोई भी घरेलू उपभोक्ता 200 यूनिट तक आधा बिल देगा। इससे 45 लाख में से 42 लाख से अधिक परिवार सीधे लाभान्वित होंगे।

सरकार का अनुमान है कि जो परिवार आज 800 – 900 रुपये मासिक बिल भर रहे हैं, उनका बिल घटकर लगभग 420–435 रुपये के बीच आ सकता है। महंगाई से जूझते मध्यम तथा निम्न आय वर्ग के लिए यह निसंदेह बड़ी राहत है।

क्यों जरूरी पड़ी यह घोषणा?

यह फैसला ऐसे समय आया है जब राज्य में रूफटॉप सोलर की मांग तेजी से बढ़ी है। अब तक 1 लाख से अधिक आवेदन, 12,000 से ज्यादा सोलर प्लांट स्थापित, लेकिन सोलर प्लांट लगाने में वक्त लगता है, और इस बीच जनता बिजली बिलों के बढ़ते दबाव से जूझ रही थी। सरकार इस अंतर को पाटने के लिए यह योजना फिर से बढ़ा रही है।


पुरानी और नई नीति में बड़ा फर्क

भूपेश बघेल सरकार के समय 400 यूनिट तक हाफ बिजली बिल योजना लागू थी। अगस्त 2025 में इस योजना को घटाकर सिर्फ 100 यूनिट कर दिया गया था, जिसके बाद लाखों उपभोक्ताओं पर बिजली का बोझ अचानक बढ़ गया।

अब वर्तमान सरकार ने इसे संशोधित कर 200 यूनिट तक राहत की सीमा बढ़ाई है। यह फैसला न सिर्फ पिछली नीति-परिवर्तन की भरपाई करता है, बल्कि गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के हित को प्राथमिकता देने जैसा कदम भी माना जा रहा है।

नई व्यवस्था कैसे काम करेगी?

1. पहले 100 यूनिट – आधा बिल
2. 101 से 200 यूनिट – आधा बिल
3. 200 यूनिट के बाद – सामान्य दर से भुगतान

यानी 200 यूनिट तक राहत मिलती रहेगी और उसके बाद की खपत पर कोई छूट नहीं।

सरकार पर बढ़ेगा सब्सिडी भार, लेकिन जनता को मदद

ऊर्जा विभाग के अनुसार, इस योजना से राज्य के बजट पर सब्सिडी का दबाव निश्चित रूप से बढ़ेगा। लेकिन सरकार का तर्क स्पष्ट है….यह जनता के हित और सामाजिक सुरक्षा की दिशा में उठाया गया जरूरी कदम है।

दरअसल, बढ़ती महंगाई और अनियमित आय के चलते कई परिवार बिजली बिल समय पर जमा नहीं कर पा रहे थे। इस योजना से जहां गृहस्थी का आर्थिक बोझ कम होगा, वहीं राज्य की राजस्व वसूली भी सुधरने की संभावना है, क्योंकि भुगतान नियमित होगा।

यह घोषणा केवल एक आर्थिक राहत योजना नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है….सरकार जरूरतमंदों का बोझ बांटना चाहती है। चुनावी राजनीति के चश्मे से देखें तो यह कदम अनिवार्य रूप से असर डालने वाला है, लेकिन वृहद परिप्रेक्ष्य यह बताता है कि बढ़ती महंगाई, ऊर्जा कीमतों और असंतुलित घरेलू बजट को देखते हुए यह फैसला समयानुकूल है।

छत्तीसगढ़ के अधिकांश उपभोक्ता 200–250 यूनिट की खपत वाले हैं, और यह योजना सीधे उनके जीवन-स्तर में बदलाव लाएगी। हालांकि यह देखने की बात होगी कि सब्सिडी का बढ़ता भार आने वाले बजट और ऊर्जा नीति को किस दिशा में ले जाएगा।

छत्तीसगढ़ सरकार का 200 यूनिट तक हाफ बिजली बिल लागू करने का फैसला जनता को राहत देने वाला, आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली कदम है। आने वाले महीनों में इसका असर न केवल उपभोक्ताओं की जेब पर दिखेगा, बल्कि राज्य की राजस्व प्रणाली और ऊर्जा नीति पर भी पड़ेगा।

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