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ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता विनोद कुमार शुक्ल आईसीयू में भर्ती -फेफड़ों में पानी, पूरे देश से दुआएं

हिंदी साहित्य के महान कवि, कहानीकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता विनोद कुमार शुक्ल की सेहत को लेकर पूरे देश में चिंता का माहौल है। 89 वर्ष की आयु में भी शब्दों के संसार को अपनी गहरी संवेदनाओं से आलोकित करने वाले शुक्ल जी इस समय रायपुर के एमएमआई नारायणा अस्पताल के आईसीयू में भर्ती हैं।

जानकारी के अनुसार, कुछ दिनों पहले घर के आंगन में गिर जाने से उनकी नाक की हड्डी टूट गई थी, जिसके लिए सर्जरी करवानी पड़ी। दो दिन तक वे इसी अस्पताल में भर्ती रहे, फिर स्वस्थ होकर घर लौटे। किंतु सोमवार शाम को अचानक उन्हें सांस लेने में तकलीफ़ होने लगी। उनके पुत्र शाश्वत शुक्ल तुरंत उन्हें अस्पताल ले गए। जांच में पाया गया कि फेफड़ों में पानी भर गया है, जिसके कारण उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया। डॉक्टरों के अनुसार स्थिति अभी स्थिर है, पर निगरानी लगातार जारी है।

साहित्यिक जगत में चिंता और प्रार्थनाएँ

विनोद कुमार शुक्ल के अस्वस्थ होने की खबर जैसे ही सोशल मीडिया पर फैली, साहित्यिक जगत में बेचैनी फैल गई। वरिष्ठ लेखक रमेश अनुपम अस्पताल जाकर उनसे मिलने पहुंचे और फेसबुक पर लिखा —हमारे समय के सबसे सच्चे कवि विनोद कुमार शुक्ल अस्पताल में हैं। उनकी आँखों में अब भी वही संवेदना है, जो उनकी कविताओं में चमकती है। हम सब उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करें।

देशभर के कवि, लेखक, और पाठक लगातार उनके स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना कर रहे हैं। रायपुर से लेकर दिल्ली और मुंबई तक साहित्यिक संस्थाओं ने बयान जारी कर कहा है कि छत्तीसगढ़ शासन को उनके इलाज की पूर्ण जिम्मेदारी उठानी चाहिए, क्योंकि विनोद कुमार शुक्ल जैसा कवि राज्य और हिंदी साहित्य – दोनों का गौरव है।

सबसे गरीब आदमी,, के कवि – विनोद कुमार शुक्ल

विनोद कुमार शुक्ल का नाम उस पीढ़ी के लेखकों में आता है जिन्होंने साहित्य को सत्ता या शोहरत का माध्यम नहीं, बल्कि मानव संवेदना का साक्ष्य बनाया।उनकी चर्चित कविता सबसे गरीब आदमी में वे लिखते हैं……सबसे गरीब आदमी के घर में,सबसे पहले रोशनी पहुँचे..  यह पंक्तियाँ आज भी हर पाठक के मन में गूंजती हैं, और इसी भावना से लोग कह रहे हैं,अब उस कवि के लिए सबसे बड़ा डॉक्टर पहुँचे।

ज्ञानपीठ और रॉयल्टी, हाल की चर्चाएँ

कुछ ही महीने पहले विनोद कुमार शुक्ल को 59वाँ ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने की घोषणा हुई थी। यह सम्मान पाने वाले वे छत्तीसगढ़ के पहले साहित्यकार हैं। हाल ही में उन्हें अपने प्रकाशकों से 30 लाख रुपये की रॉयल्टी भी प्राप्त हुई थी, जिसकी सादगीभरी प्रतिक्रिया ने सबका दिल जीत लिया था। उन्होंने कहा था……मैंने कभी सोचा नहीं था कि कविता लिखने से इतनी बड़ी राशि मिलेगी। मैं इसे अपने लेखन और पाठकों का आशीर्वाद मानता हूँ।

आने वाले दिन, दो विशेष अवसर

शुक्ल जी का जीवन अभी भी सृजन से भरा हुआ है। वे 1 जनवरी 2026 को 90 वर्ष के हो जाएंगे।
21 नवंबर 2025 को रायपुर स्थित उनके निवास पर ही उन्हें ज्ञानपीठ सम्मान औपचारिक रूप से प्रदान किया जाना है। इस कार्यक्रम को लेकर साहित्य जगत में उत्साह था, जो अब उनकी सेहत को लेकर चिंता में बदल गया है। सभी चाहते हैं कि वे जल्द स्वस्थ होकर उसी सौम्य मुस्कान के साथ यह सम्मान स्वयं ग्रहण करें।

छत्तीसगढ़ की धरती का गौरव

राजनांदगांव की मिट्टी से निकले इस कवि ने पूरे देश को दिखाया कि छत्तीसगढ़ जैसी शांत भूमि से भी विश्वस्तरीय साहित्य जन्म ले सकता है। उनके उपन्यास ‘नौकर की कमीज़’, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ और ‘हरिया हरकुला का बछड़ा’ हिंदी साहित्य में आधुनिक क्लासिक माने जाते हैं। उनकी लेखनी में शहर और गाँव, आदमी और पेड़, गरीबी और स्वप्न, सब एक दूसरे में घुलमिल जाते हैं।

साहित्य से लेकर सत्ता तक, सभी की निगाहें अस्पताल पर

अस्पताल प्रशासन ने बताया कि डॉक्टरों की टीम लगातार उनकी स्थिति पर नज़र रखे हुए है। राज्य के मुख्यमंत्री, संस्कृति विभाग और कई साहित्यिक संस्थाओं ने उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली है। उम्मीद है कि राज्य शासन उनके बेहतर इलाज के लिए सभी संसाधन उपलब्ध कराएगा।

आज हर साहित्यप्रेमी के मन में एक ही कामना है…..जिस कवि ने हमें जीवन का अर्थ शब्दों में सिखाया, उसे जीवन की साँसें लौट आएं। विनोद कुमार शुक्ल सिर्फ एक कवि नहीं, बल्कि हिंदी साहित्य की आत्मा हैं। उनकी नज़रों से दुनिया देखने का अर्थ है, संवेदना, सादगी और सुंदरता को महसूस करना। पूरे देश की दुआएँ उनके साथ हैं…. ईश्वर करें, वे शीघ्र स्वस्थ हों, और एक बार फिर अपनी मृदुल वाणी से हमारे जीवन को शब्दों की गरिमा दें।

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