रायपुर (छत्तीसगढ़) से एक अभी-तक गंभीर विवाद सामने आया है जिसमें छत्तीसगड़िया क्रांति सेना प्रमुख अमित बघेल के विरुद्ध एक विवादित टिप्पणी को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है।
रायपुर में अमित बघेल ने कथित रूप से सार्वजनिक रूप से कहा था कि “दीनदयाल उपाध्याय की मूर्ति पर लोग पेशाब क्यों नहीं करते”, जिस पर अग्रवाल समाज सहित सामाजिक एवं राजनीतिक समूहों में तीखी प्रतिक्रिया हुई। उन्होंने इसे धर्म-समाज, सम्मान और सार्वजनिक शिष्टाचार के विरुद्ध बताया।
अग्रवाल समाज के पदाधिकारियों ने इस टिप्पणी को समाज-विरोधी और अपमानजनक करार देते हुए तत्काल वायरल किया और बघेल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
पुलिस एवं प्रशासन की प्रतिक्रिया
प्रतिक्रिया के स्वर में रायपुर की पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया। एफआईआर के तहत आरोप है कि अमित बघेल ने समूह-विशेष के सामाजिक व धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है और सार्वजनिक बोल-चाल के दायरे से बाहर जाने वाला बयान दिया है।
कानूनी पहलु
यह मामला भारतीय दंड संहिता की उन धाराओं से जुड़ा हो सकता है जिनमें धार्मिक, सामाजिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने तथा सार्वजनिक शिष्टाचार के उल्लंघन की बात आती है। आगे की जांच में बयान की सच्चाई, विडियो/ऑडियो रिकॉर्डिंग, उपरोक्त टिप्पणी कहां-कब दी गई, तथा बयान देने के समय बघेल का सामाजिक-राजनीतिक पद क्या था, इत्यादि की जांच होगी।
पुलिस मामले की आगे सम्पूर्ण जानकारी जुटा रही है: सामाजिक मीडिया पोस्ट्स, प्रभावित समुदायों की शिकायतें, बघेल के बयान की स्थिति।
अग्रवाल समाज समेत अन्य प्रभावित समुदायों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन और प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अपनी नाराजगी व्यक्त की है। राजनीतिक दलों द्वारा भी इस घटना पर टकराव की भाषा और राजनीति -झलक देखने को मिली है।
यह मामला सामाजिक-सांस्कृतिक सम्मान, सार्वजनिक व्यंग्य और संवेदनशीलता के बीच के जटिल संतुलन को उजागर करता है। अमित बघेल की टिप्पणी ने एक विशेष समुदाय की भावनाओं को आहत करने का आरोप खड़ा किया है, जिससे प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा। आगे की प्रक्रिया में जांच से यह स्पष्ट होगा कि यह टिप्पणी किन कानूनी एवं सामाजिक दायित्वों को छूती है और आगे क्या कार्रवाई होगी।


