देश में सोना और चांदी के दाम इस समय ऐतिहासिक ऊँचाइयों पर पहुँच गए हैं। सोमवार को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर दिसंबर वायदा सोना ₹1,26,930 प्रति 10 ग्राम के स्तर तक जा पहुँचा, जो अब तक का सर्वाधिक रिकॉर्ड है। इसी सत्र में दिसंबर वायदा चांदी की कीमत ₹1,62,700 प्रति किलोग्राम से ऊपर निकल गई। देश के खुदरा बाजारों में भी यही रुझान दिखा, जहाँ चांदी की कीमतें लगभग ₹1.8 लाख प्रति किलो के करीब और सोना लगभग ₹1.3 लाख प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा है।
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले एक वर्ष में सोने ने लगभग 56 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की है, जबकि चांदी की कीमतों में 70 से 75 प्रतिशत तक की छलांग लगी है। यह तेजी केवल निवेश की दिशा बदलने का संकेत नहीं बल्कि एक व्यापक वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिदृश्य की प्रतिक्रिया है, जिसमें महँगाई, डॉलर की कमजोरी, अमेरिका-चीन तनाव और निवेशकों की सुरक्षित आश्रय की खोज प्रमुख भूमिका निभा रही है।
त्योहारी सीज़न ने इस तेजी को और हवा दी है। धनतेरस और दिवाली जैसे पर्वों से पहले पारंपरिक तौर पर सोने-चांदी की खरीद बढ़ जाती है, जिससे घरेलू बाजारों में मांग में तीव्र उछाल आया है। आभूषण विक्रेताओं के मुताबिक ऊँचे दामों के बावजूद उपभोक्ता निवेश के नजरिए से खरीदारी कर रहे हैं, जिससे सप्लाई चेन पर दबाव बना हुआ है।
चांदी के दामों में वृद्धि का एक और बड़ा कारण इसके औद्योगिक उपयोग में अप्रत्याशित इज़ाफा है। सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और हरित प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में चांदी की मांग तेजी से बढ़ रही है, जबकि आपूर्ति सीमित है क्योंकि इसका उत्पादन मुख्यतः अन्य खनिजों के साथ उप-उत्पाद के रूप में होता है। इससे वैश्विक स्तर पर चांदी की उपलब्धता घट गई है और भारत में इसकी कीमतें बेकाबू हो चली हैं।
निवेश के मोर्चे पर भी बदलाव देखा जा रहा है। सोना और चांदी के एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) में भारी पूंजी का प्रवाह हुआ है। हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार भारत में सोने के ETF का कुल प्रबंधित कोष (AUM) दस अरब डॉलर के पार चला गया है, जो अब तक का सर्वाधिक स्तर है। डॉलर की कमजोरी, महँगाई की चिंताओं और रुपये के गिरते मूल्य ने भी निवेशकों को कीमती धातुओं की ओर मोड़ा है।
इस बीच केंद्र सरकार ने “सोना मोनेटाइजेशन योजना” के कुछ हिस्सों को बंद करने का निर्णय लिया है, जिससे निवेशकों के लिए वैकल्पिक निवेश विकल्प सीमित हो गए हैं और भौतिक सोने की खरीद पर रुझान बढ़ा है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह रुझान आगे चलकर भारत के व्यापार घाटे को बढ़ा सकता है, क्योंकि देश सोना-चांदी दोनों का सबसे बड़ा आयातक है।
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले हफ्तों में यदि वैश्विक परिस्थितियाँ स्थिर नहीं होतीं, तो इन धातुओं के दामों में और तेजी संभव है। हालांकि कुछ विश्लेषक यह भी मानते हैं कि इतनी तेज़ बढ़त के बाद निकट भविष्य में कीमतों में हल्का सुधार या स्थिरता देखने को मिल सकती है।
त्योहारी खरीदारी के बीच यह तेजी आम उपभोक्ता के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है। जहाँ निवेशक इसे लाभ के अवसर के रूप में देख रहे हैं, वहीं आम परिवारों के लिए सोना-चांदी के गहनों की खरीद अब पहले से कहीं अधिक महँगी साबित हो रही है।
भारत जैसे देश में जहाँ सोना और चांदी केवल आभूषण नहीं बल्कि परंपरा, सुरक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक हैं, वहाँ इन धातुओं की बढ़ती कीमतें आर्थिक और सांस्कृतिक दोनों मोर्चों पर गहरा प्रभाव डाल रही हैं।

