दंडकारण्य विशेष जोनल समिति (DKSZC) के सदस्य रूपेश और माड़ डिवीजन की प्रमुख रणिता जल्द ही आत्मसमर्पण कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, दोनों वरिष्ठ माओवादी नेता छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के संपर्क में हैं और आत्मसमर्पण की प्रक्रिया पर बातचीत चल रही है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, साल 2025 में अब तक 1,040 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में काफी अधिक है। यह आंकड़ा केंद्र और राज्य की संयुक्त कार्रवाई के बाद नक्सल मोर्चे पर सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता माना जा रहा है।
अधिकारियों का कहना है कि यदि रूपेश और रणिता का आत्मसमर्पण होता है, तो यह न केवल सुरक्षा बलों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होगा बल्कि प्रतीकात्मक रूप से भी एक बड़ा कदम साबित होगा। रूपेश पिछले दो दशकों से दंडकारण्य के जंगलों में सक्रिय हैं।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के भीतर उसके भविष्य को लेकर गहरा संकट उभर आया है। हाल ही में पोलित ब्यूरो के वरिष्ठ सदस्य वेंगोपाल उर्फ सोनू ने यह दावा किया था कि संगठन ने सशस्त्र संघर्ष से पीछे हटने का निर्णय लिया है।
हालांकि बाद में पार्टी की केंद्रीय समिति ने इस दावे का खंडन किया और वेंगोपाल पर संगठन को तोड़ने की साजिश रचने का आरोप लगाया।
वेंगोपाल द्वारा जारी पत्र के बाद, तेलंगाना राज्य के प्रवक्ता जगन ने कहा कि यह वेंगोपाल की “व्यक्तिगत राय” है, न कि केंद्रीय समिति का सामूहिक निर्णय। इसके जवाब में वेंगोपाल ने जगन की टिप्पणी की आलोचना की और सवाल उठाया कि क्या अब CPI (माओवादी) तीन भागों में बँट चुकी है — जिनमें एक झारखंड में सक्रिय है।
सूत्रों के मुताबिक, वेंगोपाल इस समय महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा के आसपास डेरा डाले हुए है और दंडकारण्य क्षेत्र की स्थितियों पर नज़र रख रहा है।
रूपेश-रणिता के फैसले पर टिके कई समीकरण
एक अधिकारी ने बताया कि वेंगोपाल यह देख रहा है कि रूपेश और रणिता क्या कदम उठाते हैं। “वेंगोपाल जानता है कि निचले स्तर पर असंतोष बढ़ रहा है। यदि ये दोनों आत्मसमर्पण करते हैं, तो वह अपने अगले कदम की रणनीति उसी आधार पर तय करेगा।
जैसा कि इस वर्ष छत्तीसगढ़ में अब तक रिकॉर्ड 1,040 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए हैं। केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के अधिकारियों को उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों में मध्यम से वरिष्ठ स्तर के कुछ और माओवादी भी आत्मसमर्पण कर सकते हैं, जिसके लिए बीच के सूत्र संपर्क में है

