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जंगलों में गूँजी खुशी: अब जुड़ेगा कोंडापल्ली!

कोंडापल्ली  गाँव बीजापुर  जिले में स्थित है, जो कि जंगलों और नक्सल प्रभावित इलाकों के बीच आता है। यह गाँव काफी समय तक बाहरी दुनिया से पूरी तरह कटे हुए था , न तो सड़क थी, न बिजली, न पीने का स्वच्छ पानी, और न ही किसी प्रकार की नेटवर्क सुविधा। कठिन जंगल, सीमांत भौगोलिक स्थिति और नक्सल हिंसा की वजह से यह इलाका विकास से दूर रहा।

हाल ही में, पहले कभी न होने वाली सुविधा के रूप में, गाँव में पहली बार एक मोबाइल टावर स्थापित किया गया है। इस टावर की स्थापना से गाँव और उसके आस-पास के आसपास के अन्य छोटे गाँवों को मोबाइल नेटवर्क मिलेगी ,जिससे अब तक जो लोग कनेक्टिविटी से वंचित थे, वे पहली बार डिजिटल दुनिया से जुड़ सकेंगे।

इस नई नेटवर्क सुविधा के साथ, गाँव के लोगों को अब बैंकिंग सुविधाएँ  जैसे कि मिनी-एटीएम, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT), पेंशन, राशन, स्वास्थ्य योजनाएं, आधार वेरिफिकेशन , सुविधाजनक तरीके से मिल सकेंगी। पहले, लोगों को इन सुविधाओं के लिए कई किलोमीटर चल कर जाना पड़ता था। अब, मोबाइल नेटवर्क के तहत ये सुविधाएं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध होंगी  जिससे समय, मेहनत और खर्च दोनों की बचत होगी।

पिछले वर्ष दिसंबर 2024 में इस क्षेत्र में एक सुरक्षा-कैंप स्थापित किया गया था। इससे प्रशासन अब नियमित रूप से गाँव तक पहुँच सकता है जो पहले संभव नहीं था। साथ ही, क्षेत्र की सड़कों की मरम्मत और पुनरुद्धार के लिए (BRO) द्वारा लगभग 50 किमी सड़क नेटवर्क के निर्माण का काम चल रहा है। इससे पहुँच और आवागमन बेहतर होगा।

केवल नेटवर्क ही नहीं  गाँव को कुछ महीने पहले ही पहली बार बिजली मिली थी। यह बिजली गाँव में रात में पढ़ाई, छोटे व्यवसाय, उजाला, और रोज-मर्रा की जिंदगी को आसान बनाने में मदद कर रही है। बिजली, पानी, सड़क, नेटवर्क जैसी बुनियादी सुविधाओं में सुधार , यह संकेत है कि प्रशासन और सरकार अब दूरदराज व नक्सल प्रभावित इलाकों को विकास की मुख्य धारा में लाने की दिशा में काम कर रही है।

जब टावर की कनेक्टिविटी स्थापित की गई और ग्रामीणों को पता चला कि अब वे मोबाइल नेटवर्क पा रहे हैं तो गाँव में खुशी और उत्सव जैसा माहौल बन गया। पुरुष, महिलाएँ और बच्चे, सब मिलकर टावर के स्थान तक जुलूस लेकर गए; पारंपरिक रीति-रिवाज के तहत पूजा की गई, “मांदर” की थाप पर नृत्य और उत्सव हुआ। इस खुशी में सिर्फ हमारे लिए सुविधा नहीं, बल्कि ‘बाहर की दुनिया से जुड़ने’ की उम्मीद और भरोसा नज़र आया। लोगों ने इसे एक नए युग की शुरुआत माना, जहाँ उनके बच्चों को शिक्षा, परिवार को सुविधाएँ और गाँव को सम्मान मिलेगा।

हालाँकि कोंडापल्ली में नेटवर्क आ गया है, लेकिन बीजापुर जिले में अभी भी लगभग 700 गाँवों में से करीब 400 गाँव मोबाइल नेटवर्क कवरेज से बाहर हैं। कारण यह है कि क्षेत्र भू-भौतिक रूप से कठिन है, जंगल, पहाड़, सीमांत इलाके, और नक्सलवाद के कारण टावर लगाना और उन्हें सुरक्षित रखना मुश्किल रहा है।  पिछले कुछ वर्षों में कई टावर तो लगाए गए  पर कुछ को नक्सलियों ने जला दिया। ऐसे में कवरेज फैलाना अभी एक धीमा, पर महत्वपूर्ण कार्य है।

स्थानीय प्रशासन का कहना है कि यह सिर्फ एक टावर नहीं है, बल्कि विकास, भरोसे, और बदलाव की शुरुआत है। कहा गया है कि अब सरकारी योजनाएं, डिजिटल सेवाएं और रोज़मर्रा की सुविधाएं गाँव-गाँव तक पहुँचना शुरू हो गई हैं। उनके अनुसार, यह बदलाव गाँव के लिए न सिर्फ सुविधा बल्कि सम्मान, सुरक्षा और बेहतर भविष्य की नींव है एक ऐसा कदम जिससे आने वाली पीढ़ियाँ लाभान्वित होंगी।

भविष्य में यह महत्वपूर्ण है कि यह नेटवर्क और सुविधाओं का विस्तार सिर्फ एक-दो गाँव तक सीमित न रह जाए। बीजापुर और आसपास के इलाकों के कई अन्य गाँव अभी भी वंचित हैं  उन्हें भी मोबाइल कनेक्टिविटी, बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ सुविधाएँ मिलनी चाहिए। सुरक्षा और स्थिरता बनी रहनी चाहिए, ताकि नक्सलवाद पुनः खड़ा न हो क्योंकि कई बार पुरानी टावरों को नक्सलियों ने नष्ट कर दिया था। साथ ही, केवल कनेक्टिविटी ही नहीं, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ, सामाजिक समावेशन जैसे आयामों पर भी काम करना होगा, ताकि यह विकास सतत और सार्थक बने।

कोंडापल्ली गाँव एक ऐसा गाँव जो लंबे समय तक जंगलों, नक्सलवाद और बेबुनियाद भौतिक चुनौतियों के कारण पूरी तरह अलग था अब पहली बार मोबाइल नेटवर्क से जुड़ा है। टावर की स्थापना, बिजली, सड़क और प्रशासनिक पहुँच , ये सब मिलकर इस गाँव को विकास की मुख्य धारा में ला रहे हैं।

यह एक व्यक्तिगत सुविधा नहीं, बल्कि सामूहिक उम्मीद, विश्वास और बदलाव का प्रतीक है। ग्रामीणों का उत्साह, उनकी खुशी और उनकी उम्मीदें बताती हैं कि यह सिर्फ शुरुआत है और अगर इस दिशा में निरंतर काम किया जाए, तो बीजापुर जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में भी विकास, समावेशन और बेहतर जीवन संभव है।

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