छत्तीसगढ़ में आज सुबह तड़के बड़े पैमाने पर हुई कार्रवाई ने राज्यभर में हलचल मचा दी। आर्थिक अपराध शाखा (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने संयुक्त रूप से रायपुर, बिलासपुर, अंबिकापुर (सरगुजा), कोंडागांव और जगदलपुर सहित कुल 18 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह कार्रवाई DMF (जिला खनिज न्यास) फंड और आबकारी घोटाले से जुड़े मामलों की जांच के तहत की गई है।
छापेमारी उन अधिकारियों, ठेकेदारों और ব্যবসायिक नेटवर्क पर केंद्रित रही, जिन पर घोटाले में शामिल होने के गंभीर आरोप हैं। टीमों ने कई जगहों से महत्वपूर्ण दस्तावेज, लेन-देन के रिकॉर्ड, कंप्यूटर डेटा, मोबाइल फोन और कुछ सीलबंद फाइलें जब्त की हैं। बिलासपुर और रायपुर में जांच टीमों को कई अहम कागजात मिलने की जानकारी सामने आई है।
कार्रवाई सुबह लगभग 6 बजे शुरू हुई और सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए। रायपुर से कई टीमों को रात में ही अलग-अलग दिशाओं में रवाना किया गया था। अंबिकापुर, कोंडागांव और जगदलपुर में भी एक साथ दबिश पड़ने से प्रशासनिक हलकों में जोरदार गतिविधि देखने को मिली। यह कदम हाल के वर्षों में सबसे बड़ी संयुक्त कार्रवाई मानी जा रही है।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह पूरी कार्रवाई कई महीनों से जुटाए गए साक्ष्यों और प्राथमिक जांच के बाद ही की गई। जांच एजेंसियों ने दावा किया है कि अब तक मिले दस्तावेज घोटाले की परतें खोलने में बेहद अहम साबित होंगे। उनका कहना है कि किसी भी आरोपी को राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण नहीं दिया जाएगा।
वहीं, विपक्ष ने इस छापेमारी को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह “राजनीतिक मकसद वाली कार्रवाई” है, जबकि सरकार ने कहा कि जांच पूरी तरह सबूतों पर आधारित है। रायपुर, बिलासपुर और अन्य शहरों में अभी और खुलासे होने की संभावना बताई जा रही है, क्योंकि कई ठिकानों पर जांच अभी भी जारी है।

