रायपुर, छत्तीसगढ़… भाजपा विधायक और पूर्व सांसद सुनील सोनी (रायपुर दक्षिण) को बुधवार की शाम एक ऐसे कॉल का सामना करना पड़ा, जिसमें कॉलर ने खुद को इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) अधिकारी बताया और उनके मोबाइल नंबर को पाहलगाम (कश्मीर) आतंकवादी हमले से जोड़ने की धमकी दी।
क्या कहा गया कॉल में
कॉलर ने दावा किया कि सोनी का नंबर पहलगाम हमले की जांच के दौरान “ट्रेस” किया गया है। उन्हें “पुकारा” गया कि वह दिल्ली के IB ऑफिस में पूछताछ के लिए आएँ। यह धमकी “डिजिटल अरेस्ट” के रूप में पेश की गई, जिसे साइबर ठगों का नया तरीका माना जा रहा है।
विधायक की प्रतिक्रिया और पुलिस कार्रवाई
सुनील सोनी ने कॉल काटने के बाद रायपुर एसएसपी (लाल उमेद सिंह) को तुरंत जानकारी दी। उन्होंने पूरा घटनाक्रम साइबर सेल को लिखित में भेजा है और पुलिस ने कॉल करने वाले नंबर की लोकेशन और पहचान की जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने इसे “साइबर फ्रॉड + धमकी” की श्रेणी में माना है और मामले की गहराई से पड़ताल कर रही है।
विशेषज्ञ और राजनीतिक नज़रिया
यह कॉल “डिजिटल अरेस्ट” स्कैम जैसा दिखता है — भारत में ऐसी कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं है जहाँ सिर्फ कॉल के जरिए गिरफ्तारी की वैधता हो सकती हो। यह घटना राजनीति और साइबर सुरक्षा दोनों के लिहाज से चिंताजनक हैं… क्योंकि यह दिखाती है कि साइबर ठग न केवल आम लोगों को बल्कि राजनेताओं को भी निशाना बना सकते हैं।छत्तीसगढ़ विधानसभा में पहले भी विधायक सुनील सोनी ने साइबर ठगी की बढ़ती समस्या को उठाया है और साइबर सेल की क्षमता बढ़ाने की मांग की थी।
यह मामला फिलहाल साइबर फ्रॉड जैसा दिखता है, न कि कोई वास्तविक सुरक्षा एजेंसी की कार्रवाई। कॉल करने वालों ने आईबी की आड़ में डर और भ्रम पैदा किया है, ताकि सोनी को “डिजिटल अरेस्ट” का डर दिखाकर नियंत्रित किया जा सके। हालाँकि, पुलिस ने इस पर गंभीरता से कदम उठाया है और जांच जारी है।
छत्तीसगढ़ विधायक सुनील सोनी को “डिजिटल अरेस्ट” की धमकी, साइबर फ्रॉड या गंभीर खतरा?

