Posted in

माओवादी संगठन ने हिड़मा की कथित मुठभेड़ में मौत को फर्जी बताया, 23 नवंबर को प्रतिरोध दिवस मनाने की घोषणा

जगदलपुर/नई दिल्ली, 20 नवंबर 2025।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केंद्रीय समिति ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दंडकारण्य विशेष जोनल कमेटी के सचिव और केंद्रीय कमेटी सदस्य कामरेड माडवी हिड़मा, समेत कई साथियों की हालिया मुठभेड़ में हुई मौत को “फर्जी और साजिशन हत्या” बताया है। संगठन ने कहा कि 15 नवंबर को विजयनगरम से मारुडुलूर जंगल में हुई मुठभेड़ की सरकारी कहानी “मनगढ़ंत” है और पुलिस ने “निहत्थे साथियों की हत्या कर Encounter घोषित किया है।”

माओवादी संगठन ने यह भी दावा किया कि इसी प्रकार एएसओबी (AOSB) राज्य समिति सदस्य कामरेड शंकर की हत्या को भी मुठभेड़ का रूप देकर झूठा प्रचार किया गया है। पार्टी ने इस कथित “जनसंहार” के विरोध में 23 नवंबर को देशव्यापी प्रतिरोध दिवस मनाने की अपील की है।

सरकार पर फर्जी मुठभेड़ का आरोप

माओवादी प्रेस नोट में आरोप लगाया गया है कि वर्तमान केंद्र सरकार “आरएसएस–भाजपा मनुवादी नीतियों” के तहत आदिवासी इलाकों में दमन बढ़ा रही है और जनता को आतंकित करने के लिए फर्जी मुठभेड़ों का सहारा लिया जा रहा है। प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार—

> “हिड़मा और उनके साथियों को 15 नवंबर की सुबह पकड़कर योजनाबद्ध तरीके से मारुडुलूर जंगल में गोली मारकर हत्या की गई, जिसे मुठभेड़ बताया जा रहा है।”

संगठन ने एक बार फिर आरोप दोहराया कि पिछले कई वर्षों से सुरक्षा बलों द्वारा ऐसे ऑपरेशनों को “मुठभेड़” के रूप में पेश किया जाता है, जबकि “अधिकांश मामलों में लोग हिरासत में लिए जाने के बाद मारे जाते हैं।”

कौन थे माडवी हिड़मा? संगठन ने बताया ‘साहसी और रणनीतिक नेता’

प्रेस नोट में हिड़मा की भूमिका और माओवादी संगठन में उनके योगदान को विस्तार से बताया गया है। संगठन के अनुसार—

हिड़मा का जन्म सुकमा जिले के चेरपाल इलाके में वर्ष 1974 में हुआ।

1990 के दशक में वे दंडकारण्य आदिवासी आंदोलन से जुड़े।

1998 में वे पार्टी के दंडकारण्य दलम में शामिल हुए।

2011 में विशेष जोनल कमेटी सचिव बने।

2024 में केंद्रीय कमेटी सदस्य नियुक्त किए गए।


प्रेस विज्ञप्ति में हिड़मा को “मिलिट्री रणनीति का विशेषज्ञ, जनता में अत्यंत लोकप्रिय और साहसी नेता” बताया गया है। हिड़मा सुरक्षा बलों पर हुए कई बड़े हमलों के मास्टरमाइंड के रूप में अक्सर सरकारी एजेंसियों की सूची में शामिल रहे हैं। हालांकि माओवादी संगठन ने कभी इन आरोपों को स्वीकार नहीं किया।

माओवादी संगठन ने सरकार पर ‘जनता को डराने’ का आरोप लगाया

प्रेस नोट में कहा गया कि सरकार आदिवासी क्षेत्रों में खनिज संपदा को कॉर्पोरेट कंपनियों को सौंपने के लिए सुरक्षा बलों का प्रयोग कर रही है। माओवादियों के अनुसार—

> “हिड़मा जैसे नेता आदिवासी जनता के अधिकारों और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा की लड़ाई का नेतृत्व करते थे, इसलिए उन्हें खत्म किया गया।”

संगठन ने आरोप लगाया कि सरकार चुनावों के दौरान भी ऐसे ऑपरेशनों का इस्तेमाल “राजनीतिक फायदे” के लिए करती है।

आरोपों पर सुरक्षा एजेंसियों की टिप्पणी नहीं

इस प्रेस विज्ञप्ति में लगाए गए आरोपों पर अभी तक सुरक्षा एजेंसियों या गृह मंत्रालय की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
पुलिस पहले से ही दावा करती रही है कि हिड़मा सुरक्षा बलों पर कई हमले, विस्फोट, और घातक घात लगाने की घटनाओं में शामिल रहा है और उसकी मौत एक “बड़े नक्सल मॉड्यूल के खत्म होने” के रूप में देखी जा रही है।

23 नवंबर को प्रतिरोध दिवस का ऐलान

माओवादी संगठन ने देशभर में अपने समर्थकों, मजदूर संगठनों, छात्र संगठनों और जनसंगठनों से 23 नवंबर को “जनसंहार विरोध दिवस” मनाने की अपील की है। प्रेस नोट में कहा गया—

> “देश की जनता फासीवादी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाए और दमनकारी शासन के खिलाफ आंदोलनों को तेज करे।”

माडवी हिड़मा की कथित मुठभेड़ में मौत माओवाद आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि कई वर्षों तक वे दंडकारण्य क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली सैन्य नेताओं में शामिल रहे।
हालांकि सुरक्षा एजेंसियों की ओर से माओवादियों के दावों पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा राजनीतिक, सुरक्षा और स्थानीय स्तर पर तीखी बहस का विषय बनेगा।

Share :

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *