छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 13 नगर निगमों में ₹429.45 करोड़ से अधिक की शहरी विकास परियोजनाओं की शुरुआत राज्य में बढ़ते शहरीकरण की चुनौती को स्वीकार करने जैसा है। यह कदम दर्शाता है कि सरकार अब शहरों के ढांचागत विकास को प्राथमिकता में रखकर आगे बढ़ रही है।
यह योजना केवल सड़क, पुल या पार्क बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि शहरों के व्यापक कायाकल्प का प्रयास है। इसे मुख्यमंत्री नगरोत्थान योजना के तहत लागू किया जा रहा है, जो छत्तीसगढ़ के शहरी ढांचे को आधुनिक और प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
रायपुर, रायगढ़ और बिलासपुर जैसे बड़े शहरों पर विशेष फोकस रखा गया है, जहाँ लाखों नागरिक सीधे इन परियोजनाओं से लाभान्वित होंगे। रायपुर के लिए सबसे अधिक फंड का आवंटन इस बात का संकेत है कि राजधानी के यातायात, सौंदर्य और पर्यटन की जरूरतों को प्राथमिकता दी जा रही है।
दूसरी ओर, कोरबा, धमतरी, जगदलपुर और अंबिकापुर जैसे शहरों में जिन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, वे अपेक्षाकृत छोटे लेकिन अत्यधिक प्रभावी सुधारों पर केंद्रित हैं—जैसे जल निकासी, सड़क चौड़ीकरण और हरित क्षेत्र विकास। यह संतुलित दृष्टिकोण शहरी प्रबंधन के लिये आवश्यक था।
हालांकि, इन योजनाओं की सफलता कागज पर नहीं बल्कि क्रियान्वयन की गति और गुणवत्ता पर निर्भर करेगी। छत्तीसगढ़ में विकास परियोजनाओं की गति पहले भी कई बार धीमेपन और लापरवाही की भेंट चढ़ चुकी है। इसलिए इस बार समयसीमा का पालन ही असली परीक्षा होगा।
जिला स्तर पर बनाई गई मॉनिटरिंग समितियाँ इस दिशा में सकारात्मक कदम हैं। लेकिन इन समितियों का काम तब सार्थक होगा जब वे वास्तविक निगरानी करें, न कि केवल औपचारिक रिपोर्टिंग। भ्रष्टाचार और निम्न गुणवत्ता से लड़ने की जवाबदेही इन्हीं पर है।
नगर निगमों की पुरानी समस्याएँ—कचरा प्रबंधन, जलभराव, अव्यवस्थित यातायात—इन परियोजनाओं के केंद्र में रहें, तभी यह योजना नागरिक जीवन को वास्तविक राहत दे सकेगी। केवल सौंदर्यीकरण पर्याप्त नहीं; मूलभूत सुविधाएँ मजबूत करना अधिक आवश्यक है।
इस योजना को देखते हुए यह भी आवश्यक होगा कि हर शहर की विशिष्ट जरूरतों के अनुरूप प्रोजेक्ट्स का चयन किया जाए। रायपुर की ट्रैफिक समस्या और जांजगीर की जलापूर्ति चुनौती समान नहीं हो सकती। इसलिए भविष्य के चरण अधिक स्थानीयकृत और आवश्यकताधारित होने चाहिए।
यदि परियोजनाएँ समय पर पूरी होती हैं और अपेक्षित गुणवत्ता बनाए रखी जाती है, तो यह अर्बन ओवरहॉल छत्तीसगढ़ के शहरों को अगले कई वर्षों की जरूरतों के लिए तैयार कर सकता है। इससे न केवल नागरिक सुविधाएँ सुधरेंगी, बल्कि आर्थिक गतिविधि और निवेश में भी वृद्धि होगी।
अंततः, यह पहल छत्तीसगढ़ के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। सरकार ने शहरी विकास की दिशा में मजबूत शुरुआत की है, लेकिन सफलता तभी संभव होगी जब राजनीतिक इच्छा शक्ति, प्रशासनिक दक्षता और पारदर्शिता तीनों मिलकर काम करें। यही इस पूरी योजना की वास्तविक कसौटी होगी।

