जगदलपुर.बस्तर जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में राशन हेराफेरी के गंभीर मामले सामने आए हैं। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की जांच में यह पाया गया कि जिले की 84 राशन दुकानों में से लगभग 3.55 करोड़ रुपये मूल्य का राशन गायब हो गया है। इसके बाद विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए 11 दुकानों का लाइसेंस रद्द कर दिया है। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया कि जिले में गरीब और जरूरतमंद लोगों को समय पर उनका हक का राशन मिले और सिस्टम में पारदर्शिता बनी रहे।
खाद्य विभाग ने यह जांच तब शुरू की जब जिले के कुछ इलाकों से शिकायतें मिली कि राशन दुकानों पर आवंटित राशन नहीं दिया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों ने इन शिकायतों की प्रारंभिक जांच की और पाया कि कई दुकानों ने राशन का हिसाब-किताब सही से नहीं रखा है। इस जांच में 84 दुकानों की विस्तृत ऑडिट रिपोर्ट तैयार की गई, जिसमें कुल 3.55 करोड़ रुपये मूल्य का राशन गायब पाया गया।
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि कुछ दुकानदार अपनी दुकान पर राशन की कमी को छुपाने के लिए दस्तावेज़ों में गलत विवरण भर रहे थे। इस प्रकार के कृत्यों को रोकने और जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए विभाग ने तत्काल निर्णय लिया।
विभाग की कार्रवाई
जांच के आधार पर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने 11 दुकानों का लाइसेंस रद्द कर दिया। इन दुकानों के संचालकों को पहले चेतावनी भी दी गई थी, लेकिन उन्होंने कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाया। विभाग ने कहा कि यह कार्रवाई सार्वजनिक वितरण प्रणाली की सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी थी।
इसके अलावा विभाग ने अन्य दुकानों की भी समीक्षा शुरू कर दी है। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए डिजिटल निगरानी और रियल-टाइम डेटा अपलोडिंग का सिस्टम लागू किया जा रहा है।
प्रभावित राशन और आर्थिक नुकसान
जांच रिपोर्ट के अनुसार गायब राशन की कुल मात्रा लगभग 3.55 करोड़ रुपये मूल्य की है। यह राशन मुख्य रूप से गेहूं, चावल, चीनी और अन्य अनाज था, जो गरीब और जरूरतमंद परिवारों को वितरित किया जाना था। राशन की इस कमी के कारण कई परिवारों को अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए संघर्ष करना पड़ा।
विभाग के अधिकारियों ने कहा कि गायब राशन की भरपाई और दोषियों से वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाई जा रही है ताकि जनता का हक सुरक्षित रहे।
कानूनी पहलू
खाद्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि दोषियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और खाद्य आपूर्ति कानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसमें लाइसेंस रद्द करने के साथ-साथ एफआईआर दर्ज करने और संबंधित दुकानदारों पर जुर्माना लगाने की प्रक्रिया शामिल है।
विभाग ने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सभी राशन दुकानों पर नियमित ऑडिट और निगरानी की जाएगी। डिजिटल रिकॉर्डिंग और ट्रैकिंग सिस्टम लागू करने से राशन की चोरी या हेराफेरी की संभावना कम हो जाएगी।
जनता और सरकारी सिस्टम पर असर
इस प्रकार की घटनाओं से सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर जनता का विश्वास प्रभावित होता है। गरीब और जरूरतमंद परिवारों का हक का राशन समय पर न मिलने से उनके जीवन में कठिनाई आती है। इस मामले में विभाग की त्वरित कार्रवाई ने यह संदेश दिया है कि सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी है।
विभाग ने जनता से भी अपील की है कि अगर उन्हें किसी दुकान पर राशन वितरण में गड़बड़ी दिखे, तो वे तुरंत शिकायत दर्ज कराएँ। इससे विभाग को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने में मदद मिलेगी।
खाद्य विभाग ने बताया कि भविष्य में राशन दुकानों की निगरानी के लिए डिजिटल सिस्टम लागू किया जाएगा। इसके तहत हर दुकान का रियल-टाइम डेटा ऑनलाइन अपलोड होगा। साथ ही नियमित ऑडिट और निरीक्षण से दुकानों में किसी भी तरह की हेराफेरी तुरंत पकड़ी जाएगी।
इस कदम से न केवल राशन की चोरी रोकी जा सकेगी, बल्कि जनता को समय पर और सही मात्रा में राशन उपलब्ध कराया जा सकेगा। विभाग का कहना है कि इसका उद्देश्य पूरे जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।

